Page 45 - Abhivyakti - Vol 4.3
P. 45

उम्मीद क   करण
















                                            ु

                                     नई सबह क   करणो म  व ास पला
                                    हर अधर को पीछ छोड़, उजाला चला ।
                                                         े
                                               े
                                             े
                                           ँ
                                            े

                                                  ँ

                                                                  े
                                                                            े
                                     मन क आगन म  खलत ह सपन नए,
                                     जहा डर नह , बस चाहत क रग भर ।
                                                                         ं
                                                                                े
                                                                      े
                                           ँ
                                                 े
                                                          ु
                                                                           ै
                                        तज क पार कछ चमकता ह साफ़,
                                                     े
                                                                  े
                                                                             े
                                 एक रास्ता जो ल जाए स  इराद  क साथ ।
                                                       ंू
                                                                          ु

                                                    ै
                                      हवाओं म ह गजी एक मीठ  पकार ,
                                                               ै
                                                           े
                                            े
                                  जो कह—चलो आग, ह उजाला हर बार ।
                                                             ै
                                                      ु

                                     हर कदम म छपा ह एक नया प्रकाश,
                                  भ वष्य बलाता ह करन उज्ज्वल  वकास ।
                                                       ै
                                                              े
                                              ु
                                                                   े
                                                                         े

                                                                 ु

                                      हम चल,  न थम, न मड़ पीछ कभी,
                                              े
                                                                           ु
                                                            ै
                            क्य  क हर सवरा कहता ह — सब मम कन ह अभी।
                                                                                   ै
                                                               PARV VASANI

                                                                  GRADE  6
                                                      SDCCL PUBLIC SCHOOL,

                                                                 JAMNAGAR







                                                           40
   40   41   42   43   44   45   46   47   48   49   50